Friday, 2 June 2017

चालाक सिर्फ लोमड़ी नहीं भेड़िया भी है

एक छोटा सा गांव था। पास में एक जंगल था। दो रास्ते थे। एक लोमड़ी का और एक भेड़िये का। एक दिन लोमड़ी जा रही थी तभी उसकी टक्कर भेड़िये से हो गयी। दोनों का सर दर्द कर रहा था। तभी लोमड़ी ने भेड़िये से कहा - ऐ भेड़िये भाई देखकर चला करो। भेड़िये ने कहा - अरे लोमड़ी बहन में तो पास के गांव में आम लेने जा रहा था।

तभी लोमड़ी के मन में एक योजना आई भेड़िये को धोका देने की। भेड़िया समझ रहा था कि लोमड़ी कोई योजना बना रही है। तभी भेड़िये ने भी एक योजना बनाई लोमड़ी को वेवकूफ बनाने की। तभी भेड़िये ने कहा - लोमड़ी बहन, पास के गांव में बहुत रसीले आम हैं। और उनका स्वाद लाजवाब। इससे लोमड़ी के मन में लालच के आम फूटने लगे जिससे वह अपनी योजना भूल गयी गयी और भेड़िये का काम हो गया। बस अब लोमड़ी को गांव में ले जाना था। 

तभी लोमड़ी ने अपनी योजना याद करने की बहुत कोशिश की पर याद नहीं कर पायी। फिर भेड़िये ने कहा - चलो लोमड़ी बहन गांव में आम लेने। और फिर भेड़िये की योजना बस पूरी होने वाली थी। फिर भेड़िये ने लोमड़ी से कहा की - लो हम गांव आ गए। तभी भेड़िये ने लोमड़ी को दही से भरे मटकों का पहाड़ दिखाया। तभी भेड़िये ने लोमड़ी से कहा कि - लोमड़ी बहन सबसे निचे वाली मटकी निकालिये। 

तभी लोमड़ी ने भेड़िये से कहा कि - मुझे माफ़ कर दो मैं हार गयी तुम जीत गए। फिर भेड़िये ने कहा कि - इसे कहते हैं जैसी करनी वासी भरनी। तभी लोमड़ी वहां से सब्जी लेने भाग गयी। और भेड़िया भी आम लेने चला गया। 

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